मेरी कवितायें

यह ब्लाग मेरे द्वारा लिखी गयी कविताओं का संग्रह है | आप लोगो के विचारों का स्वागत है |

Saturday, August 16, 2008

मै दीया बन ना चाहता हू ..

Mai diya ban na chahta hu
Har rah me ujiyara chahta hu..
Nash timir ka karke
Jyoti gyan bantana chahta hu..
Asimeet prakash punj banu mai
Manav man ka bhaya haru mai..
Prabhu bas yahi vinti hai meri
Mai diya ban na chahta hu..

Written on 15th August ,2008

Thursday, June 05, 2008

हार-जीत

अब हारने की आदत हो गयी
हैअब जीतना गम लगता है !
ये जीत ये हार
कभी कभी ये सब भ्रम लगता है !
मंजिल से पहले ये जीत ये हार
दुनिया कि आँखों मे
एक अजीब सवाल लगता है !
हार जीत कि ये परिभाषा समझ ना पाया
इसका अब मुझे मलाल लगता है!
दूसरों को तो समझना अब आसान लगता है
पर इस कशमकश भरी दुनिया में
खुद को खोजना बहुत कठिन काम लगता है !
ये जीत ये हार
कभी कभी ये सब भ्रम लगता है
तो कभी अपना ही दुःख मुझे बहुत कम लगता है
इस पतन में भी कोई उत्थान लगता है
और दर्द में छुपा मधुर गान लगता है
दुःख आया है तो अब उल्लास भी आयेगा
पतझङ के बाद बसन्त मास भी आयेगा
शायद इस हानि में भी लाभ हमारा होगा
ठोकर में छिपा ज़रूर सफ़लता का इशारा होगा
तूफ़ान से भयभीत हूँ मगर खोज रहा हूँ
अब लहरों में भी छिपा एक किनारा लगता है
दूर तक फ़ैला अंधियारा है
पर मन में बसा एक उजियारा लगता है
अपना ही दुःख मुझे बहुत कम लगता है
ये जीत ये हार
कभी कभी ये सब बस भ्रम लगता है......................

Started on 20th Jan 2007. Completed by one of my Good Friend.

Friday, November 03, 2006

जिन्दगी कभी धुप कभी छाँव

जिन्दगी कभी धुप कभी छाँव
कंटिले पथ पे चला मैं नंगे पाँव

कभी मंजिल की आस
कभी जिन्दगी की प्यास
कभी हार ने का गम
कभी जितने का भ्रम

जिन्दगी कभी धुप कभी छाँव

सुख दुखः पाले बदलते रहे
कदम मेरे हमेशा चलते रहे
भटकता रहा मैं अपनो के बीच
पराये फिर भी साथ देते रहे

जिन्दगी कभी धुप कभी छाँव

धुन में रहा सदा मैं अपने
तोड़े नही किसी के सपने
बस यही एक आस रही
कभी मिलेंगे मेरे भी अपने

जिन्दगी कभी धुप कभी छाँव

मंजिल की ओर मेरा अथक प्रयास
ले जायेगा मुझे एक दिन उसके पास
कर्म ,कर्मफल की अभिलाशा से दूर
इसका हैं मुझे पुर्ण विश्वास

जिन्दगी कभी धुप कभी छाँव
कंटिले पथ पे चला मैं नंगे पाँव


Written on 21st October ,2006